श्रीमद भगवत अध्याय 8 श्लोक 16 में प्रमाण है कि ब्रह्मलोक तक सभी लोक नाशवान हैं
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Geeta Chapter 8 Verse 16 |
आब्रह्मभुवनात्, लोकाः, पुनरावर्तिनः, अर्जुन,
माम्, उपेत्य, तु, कौन्तेय, पुनर्जन्म, न, विद्यते।।16।।
अनुवाद: (अर्जुन) हे अर्जुन! (आब्रह्मभुवनात्) ब्रह्मलोक से लेकर (लोकाः) सब लोक (पुनरावर्तिनः) बारम्बार उत्पत्ति नाश वाले हैं (तु) परन्तु (कौन्तेय) हे कुन्ती पुत्र (न, विद्यते) जो यह नहीं जानते वे (माम्) मुझे (उपेत्य) प्राप्त होकर भी (पुनः) फिर (जन्मः) जन्मते हैं। (16)
केवल हिन्दी अनुवाद: हे अर्जुन! ब्रह्मलोक से लेकर सब लोक बारम्बार उत्पत्ति नाश वाले हैं परन्तु हे कुन्ती पुत्र जो यह नहीं जानते वे मुझे प्राप्त होकर भी फिर जन्मते हैं। (16)
विशेष:- गीताप्रैस गोरखपुर से प्रकाशित गीता अध्याय 10 श्लोक 17 में विद्याम का अर्थ जानूँ किया है, गीता अध्याय 6 श्लोक 23 तथा अध्याय 14 श्लोक 11 में विद्यात का अर्थ जानना चाहिए किया है तथा गीता अध्याय 15 श्लोक 15 में तथा गीता अध्याय 9 श्लोक 17 में वेद्यः तथा वेद्यम् का अर्थ जानने योग्य तथा जानना चाहिए किया है। इसलिए विद्यते का अर्थ ‘जानते‘ सही है। यदि इन श्लोकों 15-16 का अर्थ अन्य अनुवाद कर्ताओं वाला सही माना जाए कि ब्रह्म (गीता ज्ञान दाता को) को प्राप्त होने के पश्चात् पुर्नजन्म नहीं होता तो गीता अध्याय 2 श्लोक 12, अध्याय 4 श्लोक 5 व 9 तथा अध्याय 15 श्लोक 4 तथा अध्याय 18 श्लोक 62 का अर्थ सही नहीं लगेगा। इसलिए यही उपरोक्त अनुवाद जो मुझ दास(संत रामपाल जी महाराज) द्वारा किया गया है वह उचित है।
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