श्रीमद भगवद गीता अध्याय 4 श्लोक 5

श्रीमद भगवद गीता अध्याय 4 श्लोक 5 में प्रमाण है कि 

गीता ज्ञान देने वाला भगवान भी जन्म मृत्यु में है अर्थात अविनाशी नहीं है।


Geeta Chapter 4 Verse 5

बहूनि, मे, व्यतीतानि, जन्मानि, तव, च, अर्जुन,
तानि, अहम्, वेद, सर्वाणि, न, त्वम्, वेत्थ, परन्तप।।5।।


अनुवाद: (परन्तप) हे परन्तप (अर्जुन) अर्जुन! (मे) मेरे (च) और (तव) तेरे (बहूनि) बहुत-से (जन्मानि) जन्म (व्यतीतानि) हो चुके हैं। (तानि) उन (सर्वाणि) सबको (त्वम्) तू (न) नहीं (वेत्थ) जानता किंतु (अहम्) मैं (वेद) जानता हूँ। (5)

हिन्दी: हे परन्तप अर्जुन! मेरे और तेरे बहुत-से जन्म हो चुके हैं। उन सबको तू नहीं जानता किंतु मैं जानता हूँ।

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