श्रीमद भगवद गीता अध्याय 4 श्लोक 34

गीता जी में तत्वदर्शी संत कि शरण में जाने के निर्देश 

Geeta Chapter 4 Verse 34



तद्विद्धि प्राणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया |

उपदेक्षयन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिन: || 34|


अनुवाद: पवित्र गीता बोलने वाला भगवान कह रहा है कि उपरोक्त विभिन्न प्रकार की साधनाएँ [1] मनमाना अभ्यास हैं। मेरे स्तर तक तो यह साधना का काल्पनिक ज्ञान है परन्तु पूर्ण परमात्मा के मोक्ष का मार्ग मुझे भी नहीं मालूम। उसके संबंध में इस मंत्र 34 में कहा गया है कि (तत्) उस तत्वज्ञान-सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान (विधि) को समझते हैं, जो संत पूर्ण भगवान के सच्चे ज्ञान और समाधान को जानते हैं (प्रणिपातेन) उन्हें उचित रूप से प्रणाम करके (सेव्या) सेवा करते हैं उन्हें और सरलता से प्रश्न पूछकर कपट (परिप्रश्नेन) का त्याग करें (ते) वे (तत्वदर्शिनः) तत्व से परमेश्वर के ज्ञाता अर्थात तत्वदर्शी (ज्ञानिनः) ज्ञानी महात्मा, (ज्ञानम्) तत्वज्ञान अर्थात सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान (उपदेक्ष्यन्ति) का उपदेश देंगे . (34)


अनुवाद :  पवित्र गीता बोलने वाला भगवान कह रहा है कि उपरोक्त विभिन्न प्रकार की साधनाएँ मनमाना अभ्यास हैं। मेरे स्तर तक तो यह साधना का काल्पनिक ज्ञान है परन्तु पूर्ण परमात्मा की पूर्ण मुक्ति का मार्ग मुझे भी नहीं मालूम। उसके संबंध में इस मंत्र 34 में कहा गया है कि उस तत्वज्ञान को समझो। जो परमेश्वर के सत्य ज्ञान व समाधान को जानते हैं, उन संतों को विधिपूर्वक प्रणाम करने, उनकी सेवा करने तथा छल-कपट का त्याग कर सरलता से प्रश्न पूछने से वे ही परमेश्वर को तत्व से जानने वाले अर्थात् तत्वदर्शी, ज्ञानी महात्मा उपदेश देंगे। आप तत्वज्ञान/सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान में हैं।


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अन्य प्रमाण देखिए :-

❏  सबके  पालनहार कबीर परमेश्वर का ही सुमिरन करना चाहिए -  देखे प्रमाण 
❏  गीता में प्रमाण है की पूर्ण परमेश्वर कि शरण में जाने हेतु - देखे प्रमाण 
❏  गीता जी में संसार रुपी वृक्ष का वर्णन - देखे प्रमाण 
❏  गीता जी के अनुसार व्रत करना मना है - देखे प्रमाण
❏  गीता ज्ञान दाता ने अपनी साधना को अनुत्तम ( घटिया ) बताया है - देखे प्रमाण 
❏ गीता ज्ञान दाता के अनुसार पूर्ण परमात्मा तो कोई और है - देखे प्रमाण
❏ गीता ज्ञान दाता कृष्ण नही कोई और था - देखे प्रमाण
❏  गीता जी के अनुसार शास्त्र अनुकुल साधना ही करनी चाहिए - देखे प्रमाण
❏  गीता ज्ञान दाता ने अपनी साधना को अनुत्तम ( घटिया ) बताया है - देखे प्रमाण
❏  गीता जी मे पूर्ण परमेश्वर कि शरण में जाने का संकेत - देखे प्रमाण
❏  एकमात्र पूर्ण परमेश्वर कि शरण में जाने हेतु गीता जी में निर्देश - देखे प्रमाण
❏   गीता जी मे पूर्ण संत के द्वारा तीन बार में नाम दीक्षा देने का आदेश है - देखे प्रमाण
❏  गीता जी में तीनों देवों की पूजा को व्यर्थ बताया गया है - देखे प्रमाण
❏  ब्रह्मलोक तक सभी लोक नाशवान हैं - देखे प्रमाण
❏  ज्ञान देने वाला भगवान भी जन्म मृत्यु में है अर्थात अविनाशी नहीं है। - देखे प्रमाण