श्रीमद भगवद गीता अध्याय 7 श्लोक 18

श्रीमद भगवद गीता अध्याय 7 श्लोक 18 में प्रमाण है कि

 गीता ज्ञान दाता ने अपनी साधना को अनुत्तम ( घटिया ) बताया है

Geeta Chapter 7 Verse 18

उदाराः, सर्वे, एव, एते, ज्ञानी, तु, आत्मा, एव, मे, मतम्,

आस्थितः, सः, हि, युक्तात्मा, माम्, एव, अनुत्तमाम्, गतिम्।।18।।


अनुवाद: (हि) क्योंकि (मे) मेरे (मतम्) विचार में (एते) ये (सर्वे,एव) सभी ही (ज्ञानी) ज्ञानी (आत्मा) आत्मा (उदाराः) उदार हैं (तु) परंतु (सः) वह (माम्) मुझमें (एव) ही (युक्तात्मा) लीन आत्मा (अनुत्तमाम्) मेरी अति घटिया (गतिम्) मुक्तिमें (एव) ही (आस्थितः) आश्रित हैं। (18)

केवल हिन्दी अनुवाद: क्योंकि मेरे विचार में ये सभी ही ज्ञानी आत्मा उदार हैं परंतु वह मुझमें ही लीन आत्मा मेरी अति घटिया मुक्तिमें ही आश्रित हैं। (18)

अन्य प्रमाण देखिए :-

❏  सबके  पालनहार कबीर परमेश्वर का ही सुमिरन करना चाहिए -  देखे प्रमाण 
❏  गीता में प्रमाण है की पूर्ण परमेश्वर कि शरण में जाने हेतु - देखे प्रमाण 
❏  गीता जी में तत्वदर्शी संत कि शरण में जाने के निर्देश  - देखे प्रमाण 
❏  गीता जी में संसार रुपी वृक्ष का वर्णन - देखे प्रमाण 
❏  गीता जी के अनुसार व्रत करना मना है - देखे प्रमाण
❏  गीता ज्ञान दाता ने अपनी साधना को अनुत्तम ( घटिया ) बताया है - देखे प्रमाण 
❏ गीता ज्ञान दाता के अनुसार पूर्ण परमात्मा तो कोई और है - देखे प्रमाण
❏ गीता ज्ञान दाता कृष्ण नही कोई और था - देखे प्रमाण
❏  गीता जी के अनुसार शास्त्र अनुकुल साधना ही करनी चाहिए - देखे प्रमाण
❏  गीता जी मे पूर्ण परमेश्वर कि शरण में जाने का संकेत - देखे प्रमाण
❏  एकमात्र पूर्ण परमेश्वर कि शरण में जाने हेतु गीता जी में निर्देश - देखे प्रमाण
❏   गीता जी मे पूर्ण संत के द्वारा तीन बार में नाम दीक्षा देने का आदेश है - देखे प्रमाण
❏  गीता जी में तीनों देवों की पूजा को व्यर्थ बताया गया है - देखे प्रमाण
❏  ब्रह्मलोक तक सभी लोक नाशवान हैं - देखे प्रमाण
❏  ज्ञान देने वाला भगवान भी जन्म मृत्यु में है अर्थात अविनाशी नहीं है। - देखे प्रमाण