Manat na man mora sadho
- Shabad By Sant Rampal Ji Maharaj
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मानत ना मन मोरा साधो, मानत ना मन मोरा रे ।
बार बार मैं यह समझाऊं, जग में जीवन थोड़ा रे ।।
मानत ना मन मोरा साधो, मानत ना मन मोरा रे ।
बार बार मैं यह समझाऊं, जग में जीवन थोड़ा रे ।।
मानत ना मन मोरा......जीवन थोड़ा रे
इस काया का गर्व न करियो, के काला के गोरा रे ।
बिना भजन कछु काम ना आवे, चाहे इत्र छिड़को चहुं उतार रे ।।
इस काया का गर्व न करियो, के काला के गोरा रे ।
बिना भजन कछु काम ना आवे, चाहे इत्र छिड़को चहुं उतार रे ।।
मानत ना मन मोरा......जीवन थोड़ा रे
इस काया का गर्व न करियो, के हाथी के घोड़ा रे ।
जोड़ जोड़ धन बहुत विटोला, लाखों और करोडा रे ।।
इस काया का गर्व न करियो, के हाथी के घोड़ा रे ।
जोड़ जोड़ धन बहुत विटोला, लाखों और करोडा रे ।।
मानत ना मन मोरा......जीवन थोड़ा रे
दुविधा दूर मति चतुराई में, जन्म गया नर तोरा रे ।
अब भी आन मिलो सत्संग में, करो गुरु ज्ञान में गोरा रे ।।
दुविधा दूर मति चतुराई में, जन्म गया नर तोरा रे ।
अब भी आन मिलो सत्संग में, करो गुरु ज्ञान में गोरा रे ।।
मानत ना मन मोरा......जीवन थोड़ा रे
शरण पड़े को गुरु संभाले, जान के बालक भोला रे ।
कहे कबीर तुम चरण चित रखो, ज्यों सुई में डोरा रे ।।
शरण पड़े को गुरु संभाले, जान के बालक भोला रे ।
कहे कबीर तुम चरण चित रखो, ज्यों सुई में डोरा रे ।।
मानत ना मन मोरा......जीवन थोड़ा रे
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