शिवलिंग पूजा कैसे प्रारम्भ हुई ?


 शिवलिंग पूजा कैसे प्रारम्भ हुई ?

शिव महापुराण (जिसके प्रकाशक है "खेमराज श्री कृषणदास प्रकाशन मुंबई", हिंदी टीकाकार ( अनुवादक ) है विद्याविरिधि पंडित ज्वाला प्रसाद जी मिश्र ) भाग-1 में विद्वेश्वर संहिता अध्याय 5 पेज 11 पर नंदिकेश्वर यानी शिव के वाहन ने बताया की शिवलिंग की पूजा कैसे प्रारम्भ हुई :

विद्यवेश्वर संहिता अध्याय 5 श्लोक 27.30:

पूर्व काल में जो पहला कल्प जो लोक में विख्यात है। उस समय महात्मा ब्रह्मा और विष्णु का परस्पर युद्ध हुआ। (27) उनके मान को दूर करने को उनके बीच में उन निष्कल परमात्मा ने स्तम्भरूप अपना स्वरूप दिखाया।(28) तब जगत के हित की इच्छा से निर्गुण शिव ने उस तेजोमय स्तंभ से अपने लिंग आकार का स्वरूप दिखाया।(29) उसी दिन से लोक में वह निष्कल शिव जी का लिंग विख्यात हुआ। (30)

विद्वेश्वर संहिता पेज 18 अध्याय 9 श्लोक 40 -43:


इससे मैं( सदा शिव) अज्ञात स्वरूप हूँ। पीछे तुम्हें दर्शन के निमित साक्षात् ईश्वर तत्क्षणही मैं सगुण रूप हुआ हूँ।(40) मेरे ईश्वर रूप को सकलत्व जानों और यह निष्कल स्तंभ ब्रह्म का बोधक है। (41) लिंग लक्षण होने से यह मेरा लिंग स्वरूप निर्गुण होगा। इस कारण हे पुत्रो ! तुम नित्य इसकी अर्चना करना । (42) यह सदा मेरी आत्मा रूप है और मेरी निकटता का कारण है। लिंग और लिंगी के अभेद से यह महत्व नित्य पूजनीय है। (43)