श्रीमद भगवद गीता अध्याय 17 श्लोक 23

 गीता जी पूर्ण संत के द्वारा तीन बार में नाम दीक्षा देने का प्रमाण

Geeta Chapter 17 Verse 23


ॐ, तत्, सत्, इति, निर्देशः, ब्रह्मणः, त्रिविधः, स्मृृतः,
ब्राह्मणाः, तेन, वेदाः, च, यज्ञाः, च, विहिताः, पुरा।।23।।


अनुवाद: (ॐ) ॐ मन्त्र ब्रह्म का (तत्) तत् यह सांकेतिक मंत्र परब्रह्म का (सत्) सत् यह सांकेतिक मन्त्र पूर्णब्रह्म का है (इति) ऐसे यह (त्रिविधः) तीन प्रकार के (ब्रह्मणः) पूर्ण परमात्मा के नाम सुमरण का (निर्देशः) आदेश (स्मृतः) कहा है (च) और (पुरा) सृष्टिके आदिकालमें (ब्राह्मणाः) विद्वानों ने (तेन) उसी (वेदाः) तत्वज्ञान के आधार से वेद (च) तथा (यज्ञाः) यज्ञादि (विहिताः) रचे। उसी आधार से साधना करते थे। (23)

केवल हिन्दी अनुवाद: ॐ मन्त्र ब्रह्म का, तत् यह सांकेतिक मंत्र परब्रह्म का, सत् यह सांकेतिक मन्त्र पूर्णब्रह्म का है, ऐसे यह तीन प्रकार के पूर्ण परमात्मा के नाम सुमरण का आदेश कहा है और सृष्टिके आदिकाल में विद्वानों ने उसी तत्वज्ञान के आधार से वेद तथा यज्ञादि रचे। उसी आधार से साधना करते थे। (23)

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